सोमवार, 3 फ़रवरी 2025

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सहित आजादी के अमर शहीदों को ऐतिहासिक जय स्तंभ पर दी गई श्रद्धांजलि

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15 अगस्त 1947 को विभाजन के साथ मिली आजादी के बाद गांधी जी की हत्या अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम : अजय खरे रीवा 30 जनवरी। समता सम्पर्क अभियान, समाजवादी कार्यकर्ता समूह एवं विंध्याचल जन आंदोलन के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय ऐतिहासिक जय स्तंभ पर शहीद दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सं
हित आजादी के आंदोलन के अनगिनत अमर शहीदों के त्याग बलिदान को याद करते हुए दिन 11 बजे उनकी पावन स्मृति में 2 मिनट का मौन रखा गया। इस अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चित्र एवं आजादी के आंदोलन के प्रतीक जय स्तंभ पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। संपन्न कार्यक्रम मे मुख्य रूप से विचार रखते हुए समता सम्पर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने कहा कि 15 अगस्त 1947 को विभाजन के साथ मिली आजादी के कुछ माह बाद गांधी जी की हत्या अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम था। कुछ लोग अज्ञानतावश या फिर नफरती सोच के चलते राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सम्मान की आलोचना करते रहते हैं। उन्हें यह पता होना चाहिए कि आजादी के आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का सम्बोधन सबसे पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 4 जून 1944 को सिंगापुर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए दिया था । श्री खरे ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के अंतिम दौर में गांधी जी देश की आजादी का सबसे बड़ा चेहरा थे। इसके चलते द्वि-राष्ट्रवाद सिद्धांत पर काम करने वाले गांधी जी की हत्या के लिए तत्पर थे। जिन लोगों ने अंग्रेजों की मुखबिरी की ऐसे लोगों ने गांधी जी की हत्या कर दी। श्री खरे ने बताया कि इतना ही नहीं भारत के वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने 30 जनवरी 1948 को गांधी जी की हत्या पर कहा था :"ब्रिटिश हुकूमत अपने कालपर्यन्त कलंक से बच गई, आपकी हत्या आपके देश, आपके राज्य, आपके लोगों ने की है। यदि इतिहास आपका निष्पक्ष मूल्यांकन कर सका, तो वह आपको ईसा और बुद्ध की कोटि में रखेगा। श्री खरे ने कहा कि देश के सर्वोच्च पद पर बैठे एक विदेशी व्यक्ति का गांधी जी के सम्मान में दिया गया संदेश मायने रखता है। आज पूरी दुनिया में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सम्मान में उनके जन्मदिन पर विश्व अहिंसा दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सत्य अहिंसा के विचार सार्वभौमिक हैं जो उनकी हत्या होने के बाद भी पूरी दुनिया में फैल गए और मान्य हैं। महान विचारों , त्याग और बलिदान ने गांधीजी को विश्व पिता बना दिया । गांधी जी की जघन्य हत्या के बाद उनका विचार दर्शन मरा नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए अमर संदेश बन गया है। श्री खरे ने कहा कि गांधी का रास्ता ही पूरी दुनिया को बचा सकता संगोष्ठी में अन्य वक्ताओं ने विचार रखते हुए कहा कि आज के दौर में भारत रत्न और शहीद शब्द का भारी अवमूल्यन हुआ है। जनसाधारण के लिए यह विचारणीय प्रश्न है। आए दिन हत्याएं होती हैं। निश्चित रूप से यह दुखद बात है। हत्या से पीड़ित परिवार के लिए सहानुभूति रखना अच्छी बात है। जरूरत पड़ने पर ऐसे परिवार की आर्थिक मदद भी की जा सकती है लेकिन वोटो की राजनीति के लिए किसी को शहीद का दर्जा दिए जाने की बात कदापि उचित नहीं है। शहीदों का नाम हटाकर नामकरण किया जाना भी सरासर गलत होगा। शहीद देश की सर्वोच्च धरोहर हैं। उनके सम्मान में किसी तरह की कमी नहीं आना चाहिए। संपन्न कार्यक्रम में कामरेड अरविंद त्रिपाठी ,जिला अधिवक्ता संघ के पूर्व उपाध्यक्ष अशोक कुमार शुक्ला , जिला अधिवक्ता संघ के कार्यालय प्रभारी कौशल किशोर मिश्रा, समाजसेवी शेषमणि शुक्ला , रमाशंकर शुक्ला, अधिवक्ता दीपक गुप्ता आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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