Rewa कलेक्टर महोदय = गली-चौराहों में सरे आम धूनी रमाने वाले गजेड़ी प्रशासन को नजर क्यों नही आते? प्रशासन द्वारा पोषित शराब क्या नशें की श्रेणी में नहीं आती? मान्यवर वैध और अवैध नशे की श्रेणी पर विस्तार से प्रकाश डालने की कृपा कीजिए, प्लीज//😊आपका प्रयास सराहनीय है परन्तु नेताओं की तरह के भाषणों से कुछ होने वाला नहीं।जिस दिन रीवा जिला का नशा नाश होगा उस दिन का मुझे बेसब्री से इंतजार है।अधिकांश अवैध कार्यों की जानकारी आपकी प्यारी पुलिस और राजस्व को रहती है।नाक के नीचे ही परिवहन की अवैध वसूली और अपराधियों को संरक्षण आपकी पुलिस ही तो देती है।एम पी से बाहर यू पी में जाइये गंगा स्नान को,हर चौराहे में पुलिस हर वक्त तैनात रहती है और आपकी पुलिस चौराहों से नदारद और वसूली केंद्रों में हर समय उपलब्ध रहती है।आपके साथ ही पूरी जनता को पुलिस की कार्यप्रणाली का पता है।सभी लोग बस रामभरोसे जिंदा हैं।सफाई व्यवस्था को ही ले लीजिए,रीवा जैसा वायु-धूल प्रदूषण पूरी दुनिया में नही है।रोड का कार्य इतना धीमा है कि धूल खाते-खाते पुश्त बीत जाती है और एक फ्लाईओवर के निर्माण में पूरी सदी गुजर जाती है। क्या मैं सराहना करूं आपके प्रशासन की?राजस्व में आ जाइये तो एक पटवारी इतना कमाता है कि उसे अपने तृतीय श्रेणी के कर्मचारी होने का रत्ती भर गम नही होता।आलीशान कोठी और असीम अवैध दौलत के ढेर में बैठा ये पटवारी नामक जंतु अपने आपको विभाग प्रमुख यानी आप से भी ऊपर अपने को मानकर चलता है।कोई भी ऐसा सक्रिय विभाग आपके पास नहीं है जो इन राजस्व कर्मचारियों पटवारी,आर आई,तहसीलदारों की आय से अधिक संपत्ति का आंकलन कर सके।राम राज्य की कोरी परिकल्पना नही वरन राम राज्य की दिशा में बढ़ने का साहस पैदा कीजिये,महोदय।एक सामान्य आदमी दिन भर की दिहाड़ी करके भविष्य के सपने नहीं देख सकता और उस पर भी आपकी सरकारी मशीनरी शोषण करती रहती है।आपकी पुलिस लोगों का अपमान करती है ,कोई भी सीधा,सच्चा इंसान रिपोर्ट लिखवाने थाने जाने से घबराता है।आपके ये लठैत कब किस पर अकारण टूट पड़ें ,सबको भय रहता है।इस आधार पर हम भयमुक्त समाज की परिकल्पना कैसे कर सकते हैं?जरा ज्ञान दीजियेगा, प्लीज।
