REWA- रीवा जिले की पूरी प्रशासनिक व्यवस्था चरमराई हुई है रोड में आए दिन भारी भारी दुर्घटना में सैकड़ों लोग रोजाना मर रहे हैं गांव के हाल ग्रामीण जनों को ना तो किसी तरह के ग्राम पंचायतों से किसी तरह के फायदे दिलाया जा रहे हैं और ना ही सरकार किसी तरह से ध्यान दे रही है हर पंचायतों में पानी के हैंडपंपों पंप हाउसों में प्राइवेट लोगों के कब्जे हैं और उन शासकीय हैंडपंपों मोटरों को प्राइवेट दबंग लोग अपने अपने घर में 5 स्टार्टर रखकर अपने इस्तेमाल में ले रहे हैं हर ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्थाएं भी उसी तरह चरमराई हुई है ना तो कभी अस्पताल खुलती है ना ही डॉक्टर या कोई चपरासी अपनी ड्यूटी में पहुंचते हैं यदि कभी कहार महीने भर में 1 का 2 दिन कहीं पहुंचते भी हैं रजिस्टर में हाजिरी लगा कर चले जाते हैं यदि देखा जाए तो वहां अस्पतालों की बिल्डिंगों में अंदर जितनी भी दवाइयां रहती है ना जाने कहां गायब हो जाती हैं यदि कभी डॉक्टरों से मुलाकात किसी की हो जाए तो उसको बता दिया जाता है कि यहां तो किसी तरह की दवाइयां ही उपलब्ध नहीं कराई जाती और ना ही स्वास्थ्य महकमा कभी कोई ध्यान ही देता है वैसे तो देखा जाए तो भ्रष्टाचार कभी भी लगाम नहीं लगाया जा सकता लेकिन यदि किसी तरह से भी छोटी मोटी बातों पर भी ध्यान देकर शिकायतों को ध्यान देकर उनकी जांच पड़ताल कराई जाए या किसी की शिकायत होने पर उसकी बातों को माना जा समझा जाए तो कर्मचारियों में भय बन सकता है थोड़ी बहुत व्यवस्थाएं शुद्रढ हो सकती है नहीं तो ऐसे तो ना ही भ्रष्टाचार रुक पाएगा और ना ही कोई जन सुविधाएं किसी भी व्यक्ति को चाहे वह गामों में रहने वाला हो या शहर में किसी को प्राप्त नहीं कराई जा सकती सरकार के सभी जन सुविधाओं को कागजों में रिकॉर्ड तैयार किए जाते हैं उसके बाद सूचनाएं लोगों के बीच में पहुंचा दी जाती है कि इस तरह की सुविधाएं आप सभी को प्राप्त होगी लेकिन वह मात्र दिखावे एवं कहने मात्र के लिए सुविधाएं होती हैं नीचे स्तर पर कभी भी किसी तरह से भी देखा जाए तो यदि सौ व्यक्तियों में एक व्यक्ति को भी किसी तरह की सुविधाएं प्राप्त नहीं हो पाती झूठ पर पूरे शासन प्रशासन एवं राजनीति में बैठे ऊंचे पदों पर मंत्री विधायक तक झूठे वादों और झूठे कार्यों में टिके होते हैं जनता करे तो करे क्या जहां शिकायत करनी है वहीं से भ्रष्टाचार शुरू होता है ना तो जनता की कोई बात सुनने वाला और ना उसकी बात समझने वाला चाहे भोली-भाली जनता कहीं भी शिकायत करते घूमती रहे या इधर-उधर सर पटकती रहेअंत में उसे एक ही रास्ता मिलता है आत्महत्या का जो बड़े ही आसानी से लोग यह रास्ता चुन लेते हैं क्या करें उनकी भी मजबूरी है कैसे चलाएं अपना घर परिवार घर परिवार जिसको चलाना होता है अगर उसके पास कोई शासकीय नौकरीया कोई प्राइवेट व्यापार या प्राइवेट नौकरी ही ना हो वह बेचारा बेरोजगार घूमता हो तो उसका घर परिवार कैसे चल सकता है रही किसी तरह परिवार चलाते रहने की तो यदि किसी से सहयोग ले लेकर वह अपने बाल बच्चों का गुजारा भी करें पेट भी पाले लेकिन उस तरह से भी ना तो किसी ग्राम पंचायतों में किसी को कुछ भी सहयोग नहीं प्राप्त होता और ना ही सरकारों के द्वारा किसी तरह का सहयोग वैसे तो माना जाए तो जिला कलेक्टर जिला दंडाधिकारी अपने जिले का मुखिया होता है वह चाहे तो जनता को नेताओं के चक्कर न लगवा कर खुद सक्षम अधिकारी होता है कि सभी ग्रामीण जनों की बातों को बीच-बीच ग्रामीण चौपाल बनाकर सुने उनकी दिक्कतों को सुनें एवं थोड़ा बहुत तो सहयोग कर सकता है और यदि जिला दंडाधिकारी चाहे तो पूरी की पूरी जिले की व्यवस्थाएं शुद्रढ और मजबूत हो सकती है सभी की दिक्कतें दूर हो सकती है परंतु ऐसा कहीं भी किसी जिले में नहीं देखा जाता क्योंकि हर जिले का मुखिया हर उन बड़े नेताओं के गुलाम होते हैं जो कि उनको बंधन में डाले होते हैं उन्हीं के इशारे पर चलना होता है वैसे तो जिला दंडाधिकारी एक सक्षम अधिकारी एवं अपने जिले का मुखिया होता है वह किसी के दबाव में या अंदर में कार्य करने वाला नहीं होता है लेकिन समय बदल चुका है लोगों को अपनी नौकरी बचानी है और सत्य का साथ देने वालों का ना जाने क्या हाल होता है हर एक व्यक्ति जानता है इसलिए लोगों को झूठा सहारा लेकर वाहवाही लूटने के लिए अपनी नौकरी बचाने के लिए बड़े उद्योगपतियों और नेताओं के चंगुल में फंसे रहना पड़ता उनकी हाजिरी चाकरी लगानी पड़ती है अगर यही हाल रहा तो बहुत दूर नहीं हो दिन जबकि अग्रेज जब भारत में कब्जा किए हुए थे लेकिन अब तो काले अंग्रेज भारत के ही भारत में कब्जा कर उद्योगपति लोग गरीबों को मरने पर मजबूर करते रहेंगे। अगर आप अपने हित की बात को बहुत दूर तक सोचे समझे तो मेरे द्वारा लिखी गई बातों को समझने की कोशिश करेंएवं किसी भी चुनाव में वोट देने के लिए लाइन में लगने अपना समय बर्बाद करने के समय यह सब कुछ सोचे कि हम क्या कर रहे हैं इनको 55 दास 10 वर्ष के लिए अधिकार दिला देते हैं यह अधिकार लेकर अपने हितों के लिए दौड़ना चालू कर देते हैं और आप सब फिर वही मेहनत मजदूरी में उसी तरह परेशानियों में जुटे रहते हैं अगर वोट से इन्हें बड़े पद पर ही बैठ आना है तो बहुत कुछ सोच कर ही वोट दें अन्यथा हर एक चुनाव में वोट का बहिष्कार करें क्योंकि ना तो यह राजनेता आपके किसी काम आते हैं और ना ही ऊंचे पदों पर बैठे आला अधिकारी आपको तो बस वही जिंदगी भर उसी तरह मेहनत मजदूरी करनी होती है नियमों के पीछे पीछे दौड़ना होता है और जिंदगी बितानी होती है अगर देखा जाए तो ना तो आप को वोट देने के बाद किसी तरह की सुविधाएं प्राप्त होती हैं और ना ही कुछ आपके परिवार को जो भी कुछ मिलता है तो उन्हें ऊंचे पदों पर जिनको आप के वोटरों द्वारा बैठाया जाता है उनके घर परिवार नाथ रिश्तेदारों को हर तरह की सुख सुविधाएं प्राप्त होती हैं और हर तरह से नौकरी चाकरी पैसा रूपया सुख सुविधाएं प्राप्त कराई जाती है और आप सब इनके बंधन में हमेशा बने रहते हैं इन सभी आपके द्वारा ऊंचे पदों पर बैठाए गए नेताओं की तनख्वाह हर तरह से इनको बिजली पानी में छूट ऐसी गाड़ियों में घूमने की सुविधाएं उसी तरह हर कर्मचारी को एक-एक लाख डेढ़ डेढ़ लाख हर महीने तनख्वाह ऊपरी कमाई का जरिया घोष जिसके द्वारा यह अपने जीवन और घर परिवार को एस कर आते हैं लेकिन आपको क्या मिलता है कम से कम अपने अपने घर परिवार वालों के लिए कभी तो सोचिए नहीं तो सबसे अच्छा समय वही था अंग्रेजों का कम से कम मेहनत मजदूरी करते थे और उनकी गुलामी करते थे तो दो वक्त की रोटी ही नसीब हो जाती थी अन्यथा यह बड़े ऊंचे पदों पर बैठे लोग एवं जनता द्वारा चुनकर गए पड़े पदों पर नेताओं के चंगुल में फंसे रहेंगे तो आने वाले समय में आपके बच्चे भूखे मरेंगे एवं आत्महत्या करते रहेंगे इस लिखे हुए बातों पर गौर करें इसे ध्यान से पढ़ें एवं सत्यता क्या है अपने हिसाब से लिख भेजे संपर्क सूत्र 8982 8798 55 व्हाट्सएप नंबर WhatsApp chat here
शुक्रवार, 26 मार्च 2021
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Author: Ashish info verified_user
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